Autophagy
हमारे शरीर का और मिट्टी का संपर्क जैसे जैसे टूटता जा रहा है, वैसे वैसे हम हमारे ही शरीर को बीमारी की और ढकेलते जा रहे हैं | जैसे बिना मिनरल्स के पाणी वैसे बिना मिट्टी के शरीर कोई काम का नही होता | क्यू कि मिट्टी में पाणी के मिनरल्स कि तरह ऐसे कहीं घटक होते हैं जो हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का काम करते हैं | जैसे किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को चार्ज करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत होती हैं वैसे ही हमारे शरीर को चार्ज करने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती हैं, और वो ऊर्जा हमे मिलती है ऑक्सीजन, पानी, और मिट्टी से जो के इस श्रृष्टि ने ही हमे दे रखी है, ऑक्सीजन और पाणी तो हम दिन भर लेते रहते हैं, लेकिन मिट्टी से हम दूर होते जा रहे हैं, क्यू कि मिट्टी में ऐसे घटक मिले हुए होते हैं जिसकी हमारे शरीर को जरूरत होती है जो हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का काम करते रहते हैं , लेकिन आज हम इसी मिट्टी से दूर होते जा रहे हैं | केमिकल भरे खाने से हमारे शरीर में ऐसे कई तरह के विषैली पदार्थ, टॉक्सिंस प्रवेश करते हैं जो हमे खतरनाक बिमारी के तरफ ले जा सकते हैं , ईसी विषैली पदार्थो के कारण हमारे शरीर को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, अब ऐसे टॉक्सिंस को हम अंदर जाने से तो रोक नहीं सकते लेकिन इसको बाहर जरूर निकाला जा सकता है | इसको बाहर निकालने के कई तरीके हैं |
सबसे आसान तरीका तो नंगे पांव जमीन पर चलना है क्यू कि इस श्रृष्टि मे, जमीन में, पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण बल होने के कारण ये हमारे शरीर को खींचता रहता है इसके अलावा मिट्टी में कई तरीके के घटक होने के कारण ये हमारे शरीर को कई तरीके से ऊर्जा प्रदान करने का काम करते रहते है | मिट्टी मे मिले हुए घटकों के कारण वे घटक हमारे शरीर के अंदर के विषैली पदार्थो को कई ना कई रोकने का काम करते है |
खाना खाने का तरीका
हम खाना खाते समय ऐसी कई गलतियां करते है जिससे हमे एसिडिटी, गैस, कब्ज, या पेट साफ ना होना ऐसी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, गैस पास करते समय खराब बदबू आना या मुंह से गंदी बास आना ये पेट साफ ना होने के कारण होता है, फिर यही छोटासा कारण कई समस्याओं का कारण बन जाता है और कई भयानक बिमारी का रूप धारण कर लेता है , आयुर्वेद के नुसार तो जितना समय यूरिन पास करने में लगता हो ठिक उतना ही समय मल त्यागने में भी लगना चाहिए | लेकिन कई देर बैठने के बाद भी और प्रेशर देने से भी पेट पूरी तरह से साफ नही हो पाता जिसके चलते आतो का कैंसर और पाइल्स जैसे दिक्कतों से झुजना पड़ता है | गैस और मुंह कि गंदी बदबू, बालो का छड्ना, भूख ना लगना, चेहरे पर फोड़े आना ये पेट साफ ना होने के लक्षण है, अगर खाना खाते समय ही कुछ बातों पर ध्यान दिया तो यह समस्या दूर की जा सकती है | सुबह का नाश्ता हो या फिर दोपहर का खाना उसके आधा घंटा पहले और एक घंटा बाद ही पानी पिए क्यू के खाना खाने के तुरंत बाद का पानी आयुर्वेद मे जहर की तरह माना गया है, खाने के तुरंत बाद का पानी हमारी जठर अग्नी को मंद कर देता है जिससे हमारी आते खाने को डाइजेस्ट नही कर पाती, और मल को सुखा कर देती है | खाना हमेशा नीचे जमीन पर बैठ कर ही खाना चाहिए क्यू कि जमीन पर बैठ कर खाने से पेट को पर्याप्त मात्रा मे जगह मिलती है डायनिंग टेबल या बेड पर बैठ कर खाने के मुकाबले
सुबह उठते ही चाय के बदले हलका गुनगुना पानी पीना चाहिए पर्याप्त मात्रा मे पानी पीने से शरीर में लिक्विड कि मात्रा भी बनी रहेगी जिससे मल सॉफ्ट रहेगा अगर मल सॉफ्ट रहेगा तो उसे पास करने में भी उतनी ही आसानी होगी | आपका मल सॉफ्ट है सुखा ये आपकी पाणी की मात्रा मे डिपेंड होता है, लेकिन तले हुई चीजें, कोल्ड ड्रिंक्स, चाय, कॉफी ये अंदर की लिक्विड को सुखा देती हैं और आतो ड्राई करती है ऐसी चीजों को हमे बंद कर देना चाहिए | इसके जगह पर सुबह उठते ही एक ग्लास गुनगुने पानी में आधा नींबू मिलाकर पी सकते है. सुबह का नींबू पानी मल त्यागने मे, एसिडिटी मे, कब्ज, गैस,जैसी समस्या मे काफी लाभकारी होता है. और शरीर के अंदर के टॉक्सिंस को बाहर निकालता है, जिससे शरीर नैचुरली डिटॉक्स भी होता है.
ऐसी कई बीमारियां या diseases है जिसका ईलाज मेडिकल साइंसया मॉडर्न साइंस के पास आज भी नही है या अभी भी ऐसे केमिकल तयार नही कर पाया, लेकीन इस श्रृष्टि ने हमे ऐसे तयार कर के भेजा था के हम इसको ठिक कर सके. लेकीन हम इसको खुद ही रोक रहे है. जब ये खाने का प्रोसेस रुक जाता है तो इसीसे टाइप 2 डायबिटीज, ब्लॉकेज, कैंसर, अल्सर, आतो का अल्सर हो रहा है क्यो कि शरीर में नए सेल्स बन नही रहे क्यू कि पुराने डेड सेल्स बाहर निकल नही पा रहे.
Autophagy – dr. Yoshonory Ohsumi
My Dear Friends आज में डेड सेल्स को बाहर निकालने के लिए 2016 के नोबेल पुरस्कार विजेता योशिनोरी ओहसुमी का पावरफुल रिसर्च बताऊंगा जिसे autophagy कहा गया है और लास्ट मे भारत की ही प्राचीन आर्युवेद की रेमिडी बताऊंगा
autophagy को सिंपल भाषा मे कहे तो इसे फास्टिंग, उपवास कहते हैं. दोस्तो हमारा शरीर कई बार वार्निंग दे रहा होता मोटापे के रूप मे या गैस, कब्ज, एसिडिटी के रूप मे की इस autophagy की हमे जरूरत है. लेकीन खाना खाकर हम इस autophagy को रोक देते हैं. दोस्तो खाना जरूरी है लेकीन उस खाने को पचाने के लिए हमारे शरीर में नए सेल्स बनना भी उतना ही जरूरी है, खाने को डाइजेस्ट करने के लिए नए सेल्स अगर नही बनेंगे तो खाना आतो के अंदर ही सड़ने लगेगा, फिर यही सड़ा हुआ खाना अपचन, गैस, कब्ज, पाइल्स, अल्सर, ना जाने ऐसी कई परेशानियों की जगह ले लेता है और इसे कम करने के लिए एंटीबायोटिक्स का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन autophagy(उपवास) से इन सारी चीजों को टाला जा सकता है. हमारी बॉडी जो है वो एक इंजिन की तरह काम करता है जिसको चलने के लिए फ्यूल की जरूरत होती है और वो फ्यूल उसको मिलता है खाने से, जब वो फ्यूल उसको नही मिलेगा तब वो फ्यूल हमारे ही शरीर से लेना शुरू कर देता है, पहले वो चर्बी को खाता है उसके बाद टॉक्सिंस उसके बाद ब्लॉकेजेस उसके बाद वायरेसेस उसके बाद बैक्टेरिया और उसके बाद वो डेड सेल्स को खाना शुरू कर देगी वो डेड सेल्स जिन्होंने प्रोटीन और गुड बैक्टेरिया बनाना बंद कर दिया |
हर एक खाने के डायजेशन का वक्त होता है जिसको डाइजेस्ट होने के लिए उतना समय देना पड़ता है अब पेट के अंदर का पहला ही खाना हजम नहीं हुआ और हमने उपर से और खाना उसमे एड कर दिया तो ऐसे में खाना डाइजेस्ट होने की जगह सड़ने लगता है. हम इसको ऐक इक्जैंपल से समझने की कोशिश करते हैं. [ मानो कोई गाड़ी में अगर पेट्रोल भरते है वो पेट्रोल ओवरफ्लो होने लगता है अगर जरूरत नही होने पर भी पेट्रोल भर दिया तो गाड़ी बंद पड़ सकती है या फिर धक्के देकर शुरू करनी पड़ती है ] ऐसे ही हमारे शरीर का होता है अगर जरूरत नहीं होने पर भी खाना खा लिया तो शरीर बीमारियों का घर बन जाता है फिर उसे एंटीबायोटिक्स के धक्के से शुरू करना पड़ता है. तो ऐसे में शरीर कैसे प्रोटीन को डाइजेस्ट करेगा तो ऐसे में dr. Yoshinori ने देखा कि कैसे हमारा autophagy शुरू हो और बिना खाना खाएं ही शरीर प्रोटीन की ज़रूरत को भी पूरा करे और अंदर के डेड सेल्स भी बाहर निकल जाय. तो उसका सबसे पावरफुल तरीका जो dr. Yoshinori ने देखा वो था फास्टिंग (autophagy) याने हमारे ही शरीर के टॉक्सिंस को रीसाइकल करके नए सेल्स में कन्वर्ट होते है जिनको वो फ्यूल रिसाइक्लिंग कहते है. अब ये जानते है कि(autophagy) फ्यूल रिसाइक्लिंग करते कैसे है
Autophagy कैसे करें?
autophagy करने के लिए 24 घंटे का उपवास करे हफ्ते में एक बार इसको आप पाणी, जूस, या फल पर कर सकते हैं. autophagy हफ्ते मे ऐक बार या 15 दिन में नही तो महीने मे एक बार करो दिन में पूरे 24 घंटे का प्रोसेस होता है अगर आपने सुबह 10 बजे खाना खाया तो अगले दिन का खाना आपको 10 बजे के बाद ही लेना है. बॉडी कि autophagy शुरू हो जायेगी बॉडी अपने आप ही रिपेयर होना शुरू हो जाएगी | खाली पेट रहने से हमारी बॉडी हीलिंग मशीन बन जाती हैं, लेकीन इसका ये मतलब नहीं कि बॉडी को हिल ही करते रहे, बॉडी को हिल करने का समय सिर्फ एक दिन का ही होता उससे ज्यादा किया तो ऐसे मे हमारी बॉडी हमारे शरीर को ही खाना शुरू कर देती है.
अब बात करते है भारत की ही प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा – autophagy
ऐक ग्लास गुनगुने पानी मे एक चमच Castor oil यानी येरेंडल तेल मिलाकर सुबह उठते ही खाली पेट लेने से आतो के अंदर ही सारी गंदगी बाहर निकल जाती हैं. लेकीन याद रखे इसको लेने पर 2 से 3 बार मल त्यागने के लिए जाना पड़ सकता है.
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