Pranayam – कई बीमारियों से बचा सकते है ये 10 प्राणायाम

Pranayam आयुर्वेद का ऐक सबसे खास और महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। प्राणायाम दो शब्दों से मिल कर बना है प्राण+आयाम। प्राण मतलब श्वास ऊर्जा, जिस ऊर्जा को कंट्रोल में रखकर कई बीमारियों से लडा जा सकता है। नियमित योग करने से शरीर स्वस्थ, निरोगी और शेप मे रहता है। श्वास का बॉडी के बाकी अंगों से कनेक्शन होता है। Pranayam श्वास का ही योग होने के कारण ये शरीर के सभी अंगों को नियंत्रण मे रखता है.

pranayam
pranayam

Table of Contents

जानते है pranayam के प्रकार

अनुलोम – विलोम प्राणायाम
अनुलोम विलोम नाक के माध्यम से किया जाने वाला pranayam है। इस pranayam से नाड़ी की शुद्धी होती है, हमारे शरीर मे 72 हजार नाड़ीया हैं, उसमे से तीन नाड़ीयो को मुख्य माना गया है इड़ा,पिंगला और सुषुम्ना, अनुलोम विलोम ptanayam से सर्दी, एलर्जी, नाक का मांस बढाना जिसे नाक की हड्डी बढना भी कहा जाता है, इन दिक्कतों से आराम मिलता है। रोजाना अनुलोम विलोम prayanam करने से फेफड़े साफ होते है। इसे करने से शरीर से खराब वायु निकलकर ताजा ऑक्सीजन की लेवल बढने से कैंसर जैसी बिमारी तक को ठिक किया जा सकता है। इस अभ्यास को करने के लिए ऐक नाक से श्वास लेकर दूसरे नाक से छोड़नी होती। इस pranayam से सूर्य नाड़ी एक्टिवेट होती हैं। इसे रोजाना करने से एसिडिटी, क्लॉटिंग्स, दिल की शिकायतों से कुछ ही दिनों आराम मिलने लगता हैं, गठिया के लिए फायदेमंद है, पाचन शक्ति मजबूत होती है, प्राण वायु का संचार बढने से चिंता व तनाव दूर होता हैं।

कपालभाति प्राणायाम
वेट लॉस का और वेट मैनेजमेंट के लिए सबसे बेहतरीन प्राणायाम हैं कपालभाती।
कपाल यानी हमारा माथा ( skull ) यही से पूरा शरीर प्रचालन होता है। कपालभाति pranayam चेहरे की चमक को बढ़ता है, शरीर की सफाई करता हैं, एलर्जीज को होने नहीं देता, कई महिलाओं को cyst की प्रोब्लम होती हैं उसमे आराम देता है। किडनी, लिवर, प्रोस्टेट, इंटेस्टाइन, पैंक्रियाज, कई चीजों पर ये काम करता है। इसे रोजाना करने से ब्लैडर में, किडनी मे कभी स्टोन नही बनता | कपालभाति बॉडी मे रक्त संचार की गती को तेज करता है जिससे शरीर की चर्बी की गांठे गलने पिघलने लगती है, शरीर मे किसी कारण क्लॉटिंग्स होने लगती है,खून गाढ़ा होने लगता है जिससे हार्ट अटैक होना या ब्लड प्रेशर कम ज्यादा होने की दिक्कत होने लगती है। इन सारी दिक्कतों को दूर रखती है कपालभाति , कपालभाति को तेज दौड़ने के समान होती है। इसे करने के लिए सीधे योग की मुद्रा में बैठकर पेट पर फोर्स देकर नाक से श्वास को अंदर बाहर करना होता है। जिससे फेफड़े , दिल , खून की सफाई होती हैं। जरूरी बात ये की इस pranayam को शुरुवात मे ज्यादा बार नही करना होता है जब तक के इसकी अच्छेसे प्रैक्टिस ना हो, क्यो कि शुरुवात मे ही ज्यादा बार करने से नाक की सूर्य नाड़ी को दिक्कत हो सकती है। जिन लोगों को अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर या हार्ट की कोई दिक्कत हो वो इसे करने से बचे या ऐसे केसेस मे ज्यादा बार करने से बचे.

कुंभक प्राणायाम
कुंभक प्राणायाम दो प्रकार के होते हैं अंत्य कुंभक और बाह्य कुंभक, कुंभक प्राणायाम से शरीर मे हाइपर ऑक्सीजन का लेवल बड़ी तेजी से होता है। प्राण वायु से जिसने अपने बॉडी को हिल कर लिया वो जीवन मे कभी किस प्रकार के रोग से दूर रहता है। कुंभक प्राणायाम का मतलब होता है अपने सांसों को रोखे रखना, ऐसा करने से दिमाग को अच्छी मात्रा मे ऑक्सीजन मिलती है , और दिमाग को अच्छी मात्रा ऑक्सीजन मिलने से ये बॉडी के सभी अंगों को और नाड़ीयो को उत्तेजित रखता है। इस pranayan से डाइजेशन मे सुधार होने लगता है, स्ट्रैस, ब्लड प्रेशर को कम करता है। इसे करने के लिए मुंह से सांस लेकर दो सेकंड होल्ड करके बाहर छोड़नी होती है, ऐसा करने से लंग्स की इनर लाईन को लाभ होता है.

भ्रामरी प्राणायाम
इस अभ्यास मे किसी तरह की आवाज करने होती हैं, जैसे कोई खेल खेलते वक्त निकालते हैं, भ्रमर की ध्वनी निकालकर इस प्राणायाम को करते है, जिससे की शरीर किसी तरीकेसे वाइब्रेट हो । अंगूठे से कानों को और बाकी उंगलियों से आंखें बंद कर के गहरी सांस लेकर फिर उसे ध्वनि के साथ बाहर छोड़ना होता है। ध्वनि के माध्यम से होने वाली इस pranayam से बॉडी वाइब्रेट होने से शरीर मे ब्लड फ्लो का संचार इतने अच्छी तरह से होता है की ये ब्लड के टॉक्सिंस को पिघलाके बाहर निकाल देती है। ये आंखों के लिए, मन शांत करने के लिए, मन एकाग्र करने के लिए लाभकारी होता है.
उदगीत प्राणायाम
प्राणायाम मे सबसे आसान प्राणायाम हैं उदगीत प्राणायाम, इसे करते वक्त ओम ॐ जैसा आवाज होता है दरहसल वो ओम नही होता, ओम दरहसल कोई शब्द नहीं ये तीन शब्दों से मिलकर बना है आ ऊ और म | ये प्राणायाम करते वक्त ओम का उच्चारण बिलकुल भी गलत तरीका है। इसे सही से करने के लिए गहरी सांस लेकर आ.. करके आवाज़ निकालनी है और धीरे धीरे मुंह को छोटा करते हुए ऊ और म का उच्चारण करना होता है। इस pranayam से नींद की क्वालिटी मे सुधार होता है, स्ट्रेस खतम होता है, इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है, चीड़ चिड़ा पन दूर होता है। ध्यान लगाने में ये सबसे बढ़िया प्राणायाम है.
भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम से शरीर मे प्राण वायु बढ़ती है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलकर शुद्ध ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने लगता है। जिससे ज्यादा मात्रा मे न्यूट्रीशन कोशिकाओं तक पहुंचने लगता है। जिससे चेहरा पहले से बेहतर निखरने लगता है, वहा की कोशिकाएं बेहतर होने लगती है। इस अभ्यास को दो प्रकार से किया जाता है धीमा और तेज गति से, तेज गति का अभ्यास तभी करना होता है जब धीमे गति के अभ्यास को ऐक महीना हो चुका हो | योग की मुद्रा मे नीचे बैठकर नाक के माध्यम से सांस अंदर बाहर करनी होती हैं। दूसरे अभ्यास मे गती को तेज करना होता है। इसे करने से मन एकाग्र होता है.
चंद्रभेदी प्राणायाम
चंद्रभेदी प्राणायाम याने चंद्र नाड़ी को सक्रिय करना होता है, चंद्र नाड़ी नाक के लेफ्ट साइड मे होती है। इसे करने के लिए राइट साइड की नॉस्ट्रिल को अंगूठे से बंद करके लेफ्ट नॉस्ट्रील से सांस को अंदर बाहर करना होता है। चंद्रभेदी pranayam शरीर को ठंडा करती है, क्रोध को शांत करती है। शरीर मे गर्मी बढने लगती है, पित्त की समस्या होने लगती है उनको ये शान्त करता है.
शीतली प्राणायाम
शीतली प्राणायाम बना है शीतल शब्द से, शीतल यानी ठंडक, शीतल प्राणायाम शरीर को ठंडक प्रदान करता है। बहोत ज्यादा पसीना आना, गर्मी लगना, गुस्सा आना, तनाव आना, मन अशांत रहता है उसके लिए शीतली pranayam करना चाहिए | जिनको सर्दी, खासी, अस्थमा हो उनको नही करना, इसे करने के लिए जबान को थोडासा बाहर निकाल के जबान को थोडासा फोल्ड करके सांस को अंदर लेकर पांच सेकंड के लिए रोककर नाक के माध्यम से बाहर निकालना होता है। इससे पित्त प्रकृति शांत होकर अपचन, एसिडिटी मे राहत मिलती है.
उज्जयी प्राणायाम
ध्यान की मुद्रा मे बैठकर लहरों की तरह गले के टाईट रखकर नाक से सांस को अंदर ले | फिर सांस को रोखकर दायि नाक को बंद करके बाए नाक से छोड़ दे | गले के लिए, थॉयराइड, पैराथॉयराइड, खर्राटे, टॉन्सिल्स, कंठ के लिए उज्जयी प्रणायाम लाभकारी होता है.
दिर्ग प्रणायाम
इस अभ्यास को करने के लिए नीचे लेटकर तेज सांस लेकर धीरे से सांस को बाहर छोड़े, इसे करने से मन शांत, प्रसन्न और एकाग्र रहता है। शरीर मे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिससे डिप्रेशन, माइग्रेन, निंद ना आना ऐसे समस्याओं मे आराम मिलता है.

 

अधिक जानकारी हेतु यहां पढे :-

स्किन की सभी समस्याओं को खतम कर देगी फिटकरी, जाने फिटकरी के 10 अदभुत फायदे

Leave a Comment