Breastfeeding Tips: स्तनपान के बारे मे 6 महत्वपूर्ण टिप्स

Breaatfeeding Tips: शिशु के जन्म से लगभग 6 महीने तक शिशु को सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार 1 से 2 साल तक शिशु को स्तनपान कराया जा सकता है। जानिए स्तनपान के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

Breastfeeding Tips In Hindi: बच्चे को जन्म से लेकर छह महीने तक सिर्फ मां का दूध पिलाना ही जरूरी होता है। क्योंकि मां का दूध बच्चे के लिए न्यूट्रीशन से भरपूर एकमात्र आहार है जो बच्चे के ग्रोथ में अहम भूमिका निभाता हैं। मां का दूध बच्चे के ओवरऑल ग्रोथ में सबसे जरूरी और अहम आहार होता है। बच्चे के लिए जैसे मां का दूध जरूरी होता है ठीक उसी तरह स्तनपान कराना यह भी मां के लिए उतना ही जरूरी होता है। इससे बच्चे और मां दोनों के सेहत के लिए लाभ मिलता है। लेकिन कई बार गलत तरीके से कराई गई ब्रेस्टफीडिंग मां के लिए नुकसानकारक साबित होती है और मां को कमजोर बना देती है। ज्यादा कराई गई ब्रेस्टफीडिंग से शिशु को भी कई सारी समस्याएं होने लगती हैं। इसीलिए स्तनपान कराने वाली माताओं को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है ताकि बच्चा और मां दोनों भी सुरक्षित रह सके और उन्हें स्वास्थ्य की कोई समस्याओं का सामना ना करना पड़े और उनका स्वास्थ्य उचित बना रहे। जानिए मां को स्तनपान कराने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। (Breastfeeding Tips In Hindi)

Breastfeeding Tips in hindi
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स्तनपान कराना क्यों होता है जरूरी – Benefits of Breastfeeding

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) यह बताता है कि स्तनपान मां और बच्चा दोनों के ही स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। मां के दूध से नवजात शिशु को सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिल जाते हैं जो बच्चे के विकास के लिए काफी जरूरी होते है। यह न्यूट्रिएंट्स नवजात शिशु के विकास में बहुत मदद करते है। जानकारों के अनुसार ब्रेस्ट मिल्क में पाए जाने वाले प्रोटीन ओर एंटीबॉडीज बच्चे के इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने का काम करते हैं और स्वास्थ्य समस्या के जोखिम को भी दूर कर सकते हैं। स्तनपान कराने से महिलाओं में स्तन कैंसर (Breast cancer causes) का जोखिम भी कम कम हो जाता है। लेकिन स्तनपान कराने के दौरान कुछ बातों का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है।

स्तनपान कराते समय किन बातों का ध्यान रखें जरूरी होता है – Breastfeedimg Tips In Hindi

1. तरल पदार्थों का सेवन करें

स्तनपान कराने वाली माताओं को मिनरल्स का खास ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि इसके कमी से दूध उत्पाद की गति कम हो सकती है। इसीलिए केसर का दूध, सूप्स, ज्यूस जैसे अन्य तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए। तरल पदार्थों से शरीर हाइड्रेट रहता है और दूध न आने की समस्या नही होती। स्तनपान वाली माताओं को शरीर को हाइड्रेट रखने पर खास ध्यान देना चाहिए।

2. संतुलित आहार ले

बच्चे को पोषण मिले इसलिए मां को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना जरुरी होता है। जब आप ब्रेस्टफीडिंग पर हो तब यह और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है क्योंकि मां से ही बच्चे को पोषण मिलता है। माताओं को उन चीजों से दूर रहना चाहिए जो चीजें पचने में भारी ना हो और बच्चे को परेशानी ना हो। इन अवस्था में तरल पदार्थों का सेवन लाभकारी होता है। इनसे शरीर एक्टिव और हेल्दी रहता है। शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए शरीर में पानी की उचित मात्रा बनाए रखना जरूरी होता है।

3. सफाई का ध्यान रखें

स्तनपान वाली माताओं को अपनी सफाई का ध्यान रखना जरूरी होता है। चाहे रोज नहाना हो या फिर नियमित रूप से कपड़ों की सफाई हो। स्तनपान के दौरान स्वच्छता महत्वपूर्ण होती है। चाहे इसके लिए ढीले कपड़े पहने, जिससे शिशु को आसानी से स्तनपान कराया जा सके। और बार बार हाथ लगने से बचा जा सके ताकि स्तनों पर इन्फेक्शन का खतरा न हो सके।

4. बच्चा कंफर्टेबल होना चाहिए

शिशु को आप किसी भी पोजीशन में दूध पिला सकते हैं। बैठ कर, लेट कर, करा सकते है। सबसे जरूरी होता है कि बच्चा सही स्थिति में हो और ब्रेस्ट की पकड़ने की पोजीशन सही हो। शिशु को दूध पिलाते समय सही पोस्चर में बैठना जरूरी होता है। बच्चे को गोद में लेकर दूध पिलाना ये सही तरीका होता है। इस पोस्चर में स्तनपान कराने से मां और शिशु दोनों का पोस्चर सही बना रहता हैं। इससे शारीरिक परेशानी का खतरा कम हो जाता है और शिशु को भी स्तनपान ठीक से कराया जा सकता है। लेकिन कुछ महिलाएं बच्चा जब लेटा रहता है तभी उसे दूध पिलाना शुरू कर देते है जिससे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है।

5. समय निर्धारित ना कर के रखें

दूध पिलाने के लिए कोई समय निर्धारित ना कर के रखें। बच्चे को जब भूख लगे तभी उसे दूध पिलाए। बार बार दूध पिलाने से दूध का उत्पादन होता रहता है और बच्चे को पोषण भी मिलता रहता है। बार बार दूध पिलाने से ब्लॉकजेस का खतरा भी कम हो जाता है।

6. दोनों ब्रेस्ट से स्तनपान कराए

एक ही साइड से स्तनपान कराने से वो वाला स्तन बड़ा रहता है और दूसरा स्तन छोटा रहता है। जिससे दोनों की साइज कम ज्यादा हो जाती है। इसीलिए दोनों ही स्तनों से स्तनपान कराना जरूरी होता है।

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