Cancer शरीर मे बढ़ने वाली एक खतरनाक स्थिति है, जिसमे कोशिकाएं असामान्य रूप से तेजी से शरीर में बढने लगती है। शरीर में जब फ्री रैडिकल्स से उत्पन्न होने वाली कोशिकाओं को ज्यादा मात्रा मे टॉक्सिक पदार्थ मिलते है जो इन कोशिकाओं को बढ़ाने मे मदद करते है तो कैंसर हो या अन्य कोई समस्या हो उसके बढने के संभावना अधिक बढ जाते हैं.

क्या है कैंसर – What Is Cancer?
Cancer शरीर मे उत्पन्न होने वाली एक असामान्य, गंभीर और खतरनाक स्थिति है। ऐक्टिव सेल्स को डेड सेल्स में बदलकर फ्री रैडिकल्स को विभाजित कर के नए ऐक्टिव सेल्स के निर्माण को रोक देती है। कैंसर जब होता है तो कोशिकाएं अपना काम करना बंद कर देते हैं। पुरानी और मृत कोशिकाएं खतम होने के बावजूद भी जीवित रहती है और ज़रूरत नहीं होने के बावजूद भी नई कोशिकाओं का निर्माण करने लगते है। यही अतिरिक्त कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से टूटते रहते है और शरीर के किसी हिस्से में गांठ (Tumour) बनाते है। हर किसी के शरीर में कैंसर के सेल्स होते है। हमारे शरीर मे रोज कैंसर के सेल्स बनते है और उसे खतम करने वाले ऐक्टिव सेल्स, अच्छे सेल्स भी रोज बनते है जो उसे मार देते है, इसी ऐक्टिव सेल्स का निर्माण रुक जाने से कैंसर होता हैं। हमारे शरीर मे मिलियंस मे रोज सेल्स का निर्माण होता है, कुछ अच्छे होते हैं कुछ खराब होते है, खराब सेल्स को पहचानने का सिस्टम भी शरीर मे होता हैं जिसे स्कैवेंजिंग मैकेनिज्म कहते है, जो साफ करने का काम करता है अंदर से सफाई करता हैं। इम्यून सिस्टम इसे पहचानता है और उसे खाता रहता है। अगर कोई खराब सेल्स बनता है और इम्यून सिस्टम उसे नहीं पहचान पाता तो यहां पर कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। वो सेल्स अपने आप ही पैदा होने लगता हैं जो सिस्टम के विपरीत चला गया उसे कैंसर कहते है.
क्यू होता कैंसर
मानवी शरीर मे लिवर एक इकलौता ऐसा अंग है जो पूरी बॉडी को मैनेज करता हैं। क्या खाएं क्या नहीं खाएं लिवर को सब पता होता है। शरीर मे क्या रखे क्या बाहर निकाल फेंके ये लिवर देखता है। कभी वो शरीर की गंदगी को उल्टियों के जरिए बाहर निकालता है तो कभी लूज मोशन के जरिए, लिवर शरीर का इकलौता ऐसा अंग है जो छिपकली के पूछ के जैसा होता है, जिसे काट भी दो तो फिर से रिग्रोथ होता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह खराब नहीं हो सकता, एल्कोहल से लिवर खराब होने के संभावनाएं सबसे ज्यादा बढ़ जाते है और लिवर कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा जंक फूड्स, स्मोकिंग, पैकेज्ड फूड्स से भी लिवर कि दिक्कत हो सकती है। इंडिया में हर साल लगभग दो लाख सत्तर हजार लोग मर जाते है लिवर रोग से.
कैसे बढ़ता है कॅन्सर
हमारे बॉडी मे ही कुछ ऐसे सेल्स होते है जो हर दिन रिजेनरेट होते रहते है। डैमेज्ड सेल्स को लगातार फिर से नया बनाते रहते हैं। यही कारण होता हैं कि कही गिर जाने पर वो जख्म फिर से भर जाती है, ब्लड डोनेट करने पर चौबीस घंटे मे ही ब्लड फिर से रिस्टोर हो जाता है। लेकिन अगर कोई सेल्स मे जिन डैमेज्ड हो जाएं और जिन मे कोई बदलाव आ जाए कोई दिक्कत आ जाए, तो ऐसे स्थिति में हमारे बॉडी में कुछ पर्याय होते है जो इन डैमेज्ड जिन से लड़ते है उसे पुनः रिपेयर करते है। अगर कोई सेल्स पुराना या डैमेज्ड हो जाए तो जिन उसे मरने का निर्देश देता है, इस प्रोग्राम को सेल डेथ या अपॉप्टोसिस कहा जाता है। लेकिन ये जींस ही अगर खराब हो जाए तो डैमेज्ड सेल्स को फिर से कोन रिपेयर करेगा दुर्भाग्य से कोई नहीं ऐसे ही परिस्थिति को कैंसर कहा जाता है। म्यूटेशन के कारण कोई सेल्स डैमेज्ड हो जाएं और वह अनियंत्रित होकर बढ़ने लगे फैलने लगे तो ऐसे सेल्स को कैंसर सेल्स कहा जाता है.
एंटी कैंसर्स आमला – Anti Cancer Foods Amla
कैंसर होने के तीन सबसे बड़े कारण है, एक हैं डीएनए डैमेज दूसरा अनवांटेड म्यूटेशन सेल्स और ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस इन तीनों को ही एक साथ रोकता हैं आमला, आमला फ्री रैडिकल्स से उत्पन्न होने वाले डैमेज्ड सेल्स को फिर से रिपेयर करता है। नए ऐक्टिव सेल्स का शरीर मे निर्माण करता है। गुड बैक्टेरिया को बनाने में मदद करता है। विटामिन सी से रिच होता है जो डैमेज्ड सेल्स को पुनः रिपेयर करता है और गुड सेल्स का निर्माण करता है। आयुर्वेद में आंवले को अमृत फल कहां जाता हैं जो कैंसर को रोकने के लिए एक बेहतरीन पर्याय हो सकता है.
(आंवले के बारे मे यहां और पढ़ें)
खट्टे फल – Anti Cancer Foods citrus
दो ऐसे फ्लेवोनॉयड्स होते है हेस्परिडिन और नरेन्जेनिन यह दोनों भी शरीर के जितने ही तरह के गांठे (ट्यूमर) होती हैं, जिनके बढ़ जाने की संभावनाएं ज्यादा होती है उनको बढ़ने से रोकते है। और यह दोनों भी फ्लेवोनॉयड्स जितने तरह के भी खट्टे फल होते है उनमें पाए जाते हैं.
तुलसी के पत्ते
तुलसी मे फाइटोकैमिकल कंपाउंड्स होते हैं जो शरीर के अंदर एक तरह से एंटी ऑक्सीडेंट कि एक्टिविटी को बढ़ाते हैं। जो कैंसर सेल्स बनते है उनको फैलने से रोकते है। इसके अंदर एक यूर सोलिक पावरफुल कंपाउंड होता है जो कैंसर एक्टिविटी को होने से रोकते है। इसका सेवन चाय बनाते वक्त या कोई ज्यूस बनाते समय किया जा सकता है.
(तुलसी के बीज खाने के फायदे)
मोटा अनाज – whole grains
होल ग्रेंस में फाइबर और पोषक तत्व पीसे हुए आटे की तुलना में भरपूर मात्रा मे होते है। ज्वारी की रोटी, बाजरे की रोटी, दलिया कैंसर को रोकने के लिए फायदेमंद होती है.
हल्दी
हल्दी के अंदर करक्यूमिन होता हैं जो एंटी इनफ्लेमेटरी और एंटी कैंसर प्रॉपर्टीज से भरपूर होती है। सुबह कच्ची हल्दी चबाने से अधिक लाभ मिलता हैं.
ग्रीन टी
ग्रीन टी के अंदर कैटिकन होते हैं। ये कैटिकन उल्टा जो कैंसर सेल्स होते है उनके अंदर ही ऑक्सीडेंट स्ट्रेस पैदा करने की क्षमता रखते है। जिससे वो सेल्स भी मर जाते है जो बाकी सेल्स को खराब कर रहे होते है.
लहसुन
लहसुन के अंदर एलिसिन और सल्फर योगिक गुण होते है जो कैंसर को होने से रोकते है। और शरीर की अंदर से सफाई करते है। लहसुन फ्री रैडिकल्स के प्रभाव को कम करता हैं.
टंग क्लीनर
जीभ को साफ करने से मुंह में अच्छे वाले बैक्टेरिया बनते है, जो ब्लड वेसल्स को रिपेयर करते है। नाइट्रिक ऑक्साइड का प्रोडक्शन करते है.
शिलाजीत
हल्दी के बाद शिलाजीत कैंसर का सबसे बड़ा दुश्मन है। हमारे शरीर को 102 एसेंशियल मिनरल्स की जरूरत होती है, जिसमे से लगभग 92 मिनरल्स केवल शिलाजीत से मिलते है। शिलाजीत एक जबरदस्त इम्युनिटी बूस्टर है, जो बीमारियों को शरीर में टिकने नहीं देता, शिलाजीत डीएनए को रिपेयर करता हैं। लेकिन इसका सेवन पर्याप्त मात्रा मे ही करे क्यू कि यह तासीर मे गर्म होता हैं.
सुबह यह करे
सुबह उठते ही गुनगुने पानी में एक – दो चमच देसी गाय का घी पीए, देसी गाय का घी टॉक्सिंस बाहर निकालता हैं। फ्रेश होने के बाद थोड़ीसी कच्छी हल्दी, अदरक, लहसुन की एक कली ओर चार नीम के पत्ते या कड़ी पत्ते इन सब को चबाकर खाएं.
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